संक्रामक रोग से बचने के उपाय Can Be Fun For Anyone



सैद्धांतिक रूप से बच्चों का टीकाकरण टिकट नगरपालिका द्वारा मिलेगा, जिससे वे स्थानीय बाल चिकित्सक के क्लीनिक या कुछ स्थानीय सरकारों द्वारा स्थापित सामूहिक टीकाकरण केन्द्र में टीका लगवा सकते हैं।

आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाते। आपको बेहतर महसूस हो सकता है, लेकिन टीबी बैक्टीरिया आपके शरीर में मौजूद रहते हैं। ये बाद के किसी समय में फिर से सक्रिय हो सकते हैं, और आपको बहुत अधिक बीमार बना सकते हैं।

प्यूबिक लाइस : यह परजीवी शरीर के बालों, बिस्तर, टावेल, कपड़ों इत्यादि द्वारा भी अनजाने में फैल जाता है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट के प्रकार

वह कहते हैं कि चर्चा में अनिश्चितता की स्थिति थी। विशेषज्ञों का दृष्टिकोण रूढ़िवादी था और वे विस्तृत सूचना पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे थे। यह समीक्षा प्रक्रिया पुरानी व्यवस्था जितनी ही लम्बी रही। वे कहते हैं कि “स्वीकृति को गति कैसे दी जाए” और “दवा या उपचार की प्रभावकारिता और सुरक्षा की कैसे पुष्टि की जाए” इन दो बातों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

लीवर व किडनी संबंधी समस्याएं – लीवर व किडनी खून से अशुद्धियों व अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने में मदद करते हैं। अगर ट्यूबरकुलोसिस लीवर या किडनी को प्रभावित कर देता है तो ये ठीक से काम नहीं कर पाते।

कई बार हाथों में लाल छोटे-छोटे पानी वाले दाने बनने लगते हैं, जिस पर बार-बार खुजली होती है। कुछ समय बाद इन दानों में पस भरने लगती है और फिर पीड़ित को प्रभावित हिस्सों में दर्द जा जलन का अहसास होना शुरू हो जाता है। स्किन पर दिखने वाले ये लक्षण हर्पीस के हैं।

गोनोरिया : समय रहते इस जीवाणिक संक्रमण का पता लग गया तो उपचार सम्भव, गुप्तांगों से तरल अपने आप निकलना इसका लक्षण है, मूत्रोत्सर्ग के समय जलन अथवा कठिनता भी सम्भव। इससे संक्रमित आधी स्त्रियों में लक्षण नहीं पाये गये। वैसे यह पुरुषों में भी होता है।

स्केबीज़ नामक परजीवी और भी बहुत संक्रमण स्पर्ष के माध्यम से फैल सकते हैं, अतः हाथ न मिलायें, न ही गले लगेंगे.

एक संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक संक्रामक रह सकता है (जब तक उसके थूक में टीबी जीवक्षम मौजूद रहते हैं) और तब तक संक्रामक रह सकता है, जब तक उसका कई हफ्ते उपचार ना किया जाए। हालांकि कुछ लोग संक्रमित तो हो जाते हैं, लेकिन संक्रमण को दबा लेते हैं, जिससे कई सालों बाद उनमें लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे लोगों में कई बार कोई लक्षण पैदा नहीं होता और ना ही वे संक्रामक बनते।

हड्ड‍ियों को स्‍वस्‍थ रखने के ल‍िए डॉक्‍टर, बोन डेन्‍स‍िटी टेस्‍ट कराने की सलाह देते हैं। इस जांच से यह पता चलता है क‍ि आपकी हड्ड‍ियां क‍ितनी मजबूत हैं। टेस्ट के जर‍िए इस बात का आंकलन क‍िया जाता है क‍ि कहीं भव‍िष्‍य में हड्डि‍यों here का फ्रैक्‍चर होने का खतरा तो नहीं है। बोन डेन्‍स‍िटी कम होने से हड्ड‍ियों की बीमारी जैसे- ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है।    

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डॉक्‍टर की सलाह के बगैर दवाओं का सेवन न करें। कुछ दवाएं, कैल्‍श‍ियम को एब्‍सॉर्ब कर लेती हैं। इससे हड्ड‍ियों को नुकसान पहुंच सकता है। 

विस्तार से जानकारी हेतु देखें उपयोग की शर्तें

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